Ram Katha Full: Shri Ram और Ravana की दिव्य कथा
“Ram Katha Full – The Glorious Victory Story of Shri Ram and Ravana”
राम जी का वनवास (Ram’s Exile)
अयोध्या के राजकुमार श्रीराम को तब वन जाना पड़ा जब महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान माँगे — राम का चौदह वर्षों का वनवास और भरत का राज्याभिषेक। धर्म और पिता की आज्ञा का पालन करते हुए श्रीराम ने बिना किसी विरोध के सब कुछ त्याग दिया। माता सीता ने पति धर्म निभाते हुए उनके साथ वन जाने का निर्णय लिया, और भाई लक्ष्मण ने भी सेवा के लिए वनवास का मार्ग अपनाया। तीनों ने राजमहल के सुखों को त्यागकर जंगल के जीवन को स्वीकार किया। यह त्याग केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि धर्म, प्रेम और निष्ठा की अमर मिसाल थी।
रावण का जन्म और उदय (Ravana’s Birth & Rise)
Ravana, जिन्हें Dashagriva भी कहा जाता है, महर्षि Vishrava और राक्षस कुल की राजकन्या Kaikesi के पुत्र थे। उनके भाई-बहन थे:
Kumbhakarna – पर्वत जैसे शरीर और असीम बल।
Vibhishan – सात्विक और धर्मपरायण।
Shurpanakha – उग्र और क्रोधी।
Ravana बचपन से ही तेजस्वी और ज्ञानवंत था। उसने Vedas, Vedangas और Brahmavidya में महारत हासिल की, पर शक्ति और प्रभुत्व की इच्छा ने उसे कठोर तपस्या की ओर प्रेरित किया। उसने 10,000 वर्षों तक तप किया, हर हजार वर्ष में एक सिर भगवान Brahma को अर्पित किया।
भगवान Brahma प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया: “नाभि में अमृत रहने तक कोई भी प्राणी उसे हरा नहीं सकता”। इस शक्ति के साथ रावण ने स्वर्णमयी Lanka पर शासन स्थापित किया और देवताओं के भीषण प्रयासों को पीछे छोड़ा।
रावण की शक्तियाँ और दिव्य वरदान (Ravana’s Powers & Divine Boons)
Ravana केवल युद्ध कौशल में ही नहीं, बल्कि विद्या और भक्ति में भी निपुण था। उसे भगवान Shiva से Chandrahasta तलवार और अद्वितीय siddhis मिलीं। उसने स्वर्णमयी Lanka को स्वर्ग से भी अधिक वैभवशाली बना दिया – ऊंचे राजमहल, रत्नों से सजे भवन और अभेद्य किले।
लेकिन उसकी अहंकार और वासना धीरे-धीरे उसे अधर्म की ओर ले गई।
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माता सीता का हरण (Sita Haran)
वनवास के दौरान Shurpanakha ने Ram और Lakshman को लुभाया। असफल प्रयास के बाद उसने माता Sita पर हमला किया। लक्ष्मण ने उसकी नाक और कान काट दिए।
Shurpanakha रावण के पास गई और उसने Ram की सुंदरता और शक्ति के बारे में बताया।
रावण ने सन्यासी का वेश धारण करके सीता को भिक्षा मांगने के बहाने बहकाया और उन्हें Lanka ले गया। Jatayu ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, पर घायल हो गया।
हनुमान और वानर सेना (Hanuman & Vanara Army)
Ram और Lakshman की मुलाकात Shabari और बाद में Sugriv से हुई।
Hanuman ने अपनी भक्ति और पराक्रम से Lanka में Sita का पता लगाया, उन्हें Ram का अंगूठी संदेश दिया और Lanka में आग लगा दी।
लंका का युद्ध (Battle of Lanka)
Ram Setu का निर्माण कर वानर सेना Lanka पहुँची। युद्ध में मुख्य घटनाएँ:
Meghnad और Lakshman का संघर्ष – Lakshman गंभीर रूप से घायल; Sanjivani Booti से बचाए गए।
Kumbhakarna का वध – Ram ने दिव्य अस्त्रों से उसे परास्त किया।
Ravana का अंतिम युद्ध – Ram ने रावण की नाभि पर बाण चलाकर उसे हरा दिया।
दशहरा का संदेश (Dussehra Significance)
रावण का वध यह सिखाता है कि:
अहंकार और अधर्म चाहे कितने भी विशाल क्यों न हों, उनका पतन निश्चित है।
धर्म, भक्ति और साहस की हमेशा जीत होती है।
आज भी रावण के पुतले जलाने का पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि यह स्मृति है कि धर्म ही सच्ची विजय है।